Lekhika Ranchi

Add To collaction

रविंद्रनाथ टैगोर की रचनाएं


तोता--

7
तोता मर गया । कब मरा, इसका निश्चय कोई भी नहीं कर सकता ।
कमबख्त निन्दक ने अफवाह फैलायी कि ''तोता मर गया! ''
राजा ने भानजे को बुलवाया और कहा, ''भानजे साहब यह कैसी बात सुनी जा रही है? ''
भानजे ने कहा, ''महाराज, तोते की शिक्षा पूरी हो गई है!"
राजा ने पूछा, ''अब भी वह उछलता-फुदकता है? ''
भानजा बोला, अजी, राम कहिये! ''

8
''अब भी उड़ता है?''
''ना:, क़तई नहीं!''
''अब भी गाता है?''
''नहीं तो! ''
''दाना न मिलने पर अब भी चिल्लाता है?''
"ना!"
राजा ने कहा, ''एक बार तोते को लाना तो सही, देखूंगा जरा!
तोता लाया गया । साथ में कोतवाल आये, प्यादे आये, घुड़सवार आये!
राजा ने तोते को चुटकी से दबाया । तोते ने न हाँ की, न हूँ की । हाँ, उसके पेट में पोथियों के सूखे पत्ते खड़खड़ाने जरूर लगे ।
बाहर नव-वसन्त की दक्षिणी बयार में नव-पल्लवों ने अपने निश्वासों से मुकुलित वन के आकाश को आकुल कर दिया ।
(साभार- रबीन्द्रनाथ टैगोर का बाल-साहित्य)

   0
0 Comments